
बहुत ही कम महिलाओं को पता होता है की उनके पैरों की बिछिया का पति की जेब से बहुत ही गहरा रिश्ता होता हैं। जी हाँ, आप एकदम सही सुन रहे है और आज हम आपको इस रिश्ते के बारे में विस्तार से बताने भी जा रहे है। अक्सर ही आपने देखा होगा की किसी भी विवाहित महिला के श्रृंगार को बढ़ाने के लिए तरह तरह के वस्त्र, आभूषण आदि का इस्तेमाल करती है, हालांकि विवाहित महिलाओं और उनके श्रृंगार से जुड़ी कुछ परंपराएं भी हैं।
जैसे शास्त्रों के अनुसार यह कहा जाता है की हर विवाहित महिला को अपनी मांग में सिंदूर लगाना चाहिए क्योंकि ये पति की लंबी आयु के लिए होता है जबकि गले का मंगलसूत्र दांपत्य जीवन को बुरी नजर से बचाने के लिए।
आपको यह भी बता दें की आभूषणों से पैर भी अछूते नहीं है, पायल, बिछिया आदि भी स्त्री के सौन्दर्य का अभिन्न अंग है और आज हम आपको इसी बिछिया के बारे में कुछ खास जानकारी देने जा रहे है की इसे पहनना क्यों जरूरी माना गया है।
बिछिया पहनने के पीछे की मान्यता
आपको बता दें की हमारे हिंदू धर्म में पैरों की उंगलियों में बिछिया पहनने का रिवाज सदियों से चला आ रहा है। बिछिया हमेशा अंगूठे के ठीक बगल वाली उंगली में पहनी जाती है। ये किसी भी स्त्री के विवाहिता होने की निशानी मानी जाती है। वैसे सामान्य तर पर हमेशा ये ही कहा जाता है की बिछिया चांदी की ही पहननी चाहिए। चूंकि चांदी चंद्रमा का सूचक है और ये शीतलता प्रदान करता है।
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