
हथेलियों के अग्र भाग में मां लक्ष्मी का निवास है, हाथों के मध्य भाग में मां सरस्वती का निवास है और हाथों के मूल में भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण विराजमान है। प्रात:काल इन तीनों देवताओं का स्मरण और दर्शन अत्यत शुभ और मंगलकारी है।
मंत्र का करें उच्चारण:
कराग्रे वसते लक्ष्मी, कर मध्ये सरस्वती ।
कर मूले तु गोविंदम, प्रभाते कर दर्शनम ॥
सुबह उठते ही करें ये काम:
प्रात:काल जब निद्रा से जागते हैं तो सर्व प्रथम बिस्तर पर ही हाथों की दोनों हथेलियों को खोलकर उन्हें आपस में जोड़कर उनकी रेखाओं को देखते हुए उक्त का मंत्र एक बार मन ही मन उच्चारण करते हैं और फिर हथेलियों को चेहरे पर फेरते हैं।
पश्चात इसके भूमि को मन ही मन नमन करते हुए पहले दायां पैर उठाकर उसे आगे रखते हैं और फिर शौचआदि से निवृत्त होकर पांच मिनट का ध्यान या संध्यावंदन करते हैं।
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