
सोयाबीन के बारे में लगभग सभी लोगों ने सुना होगा। इसी कई बार खाया भी होगा किन्तु शायद आपको इसकी ताकत का अंदाजा नहीं होगा। सोयाबीन मटन और चिकन से भी ताकतवर होता है। शाकाहारी लोग इसे शाकाहार मीट भी कहते हैं। सोयाबीन में 38-40 प्रतिशत प्रोटीन, 22 प्रतिशत तेल, 21 प्रतिशत कार्बोहाइडेंट, 12 प्रतिशत नमी तथा 5 प्रतिशत भस्म होती है। सोयाप्रोटीन के एमीगेमिनो अम्ल की संरचना पशु प्रोटीन के समकक्ष होती हैं।
अतः मनुष्य के पोषण के लिए सोयाबीन उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत हैं। कार्बोहाइडेंट के रूप में आहार रेशा, शर्करा, रैफीनोस एवं स्टाकियोज होता है जो कि पेट में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों के लिए लाभप्रद होता हैं। सोयाबीन तेल में लिनोलिक अम्ल एवं लिनालेनिक अम्ल प्रचुर मात्रा में होते हैं।
ये अम्ल शरीर के लिए आवश्यक वसा अम्ल होते हैं। इसके अलावा सोयाबीन में आइसोफ्लावोन, लेसिथिन और फाइटोस्टेरॉल रूप में कुछ अन्य स्वास्थवर्धक उपयोगी घटक होते हैं। प्रतिदिन पचास ग्राम सोयाबीन का सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर 3 प्रतिशत तक कम हो जाता है। सोयाबीन दिल की सभी बीमारियों से बचाता है और कोलेस्ट्रॉल को कम करता है।
सोयाबीन का नियमित सेवन करने वाले को प्रोस्टेट कैंसर कभी नहीं होता है। इसके अलाबा सोयाबीन हड्डियों को मजबूत बनाता है, मधुमेह के स्तर को सामान्य रखता है और पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है। शरीर को ताकत देता है। सोयाबीन के बीज को नियमित भिगोकर खाने से शरीर शक्तिशाली आर ताकतवर बन जाता है।
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